दिवाली से पहले ही उपभोक्ताओं के मन में डर बैठ गया है क्योंकि विभिन्न बैंकों के 30 लाख से ज्यादा डेबिट कार्ड ‘दागी’ बन गए हैं, क्योंकि उनकी सुरक्षा को खतरा है। इस मामले की विशेषज्ञों ने जांच शुरू कर दी है।
डेबिट या क्रेडिट कार्ड के डेटा का लीक होने का खतरा होता है। जब एटीएम मशीन या किसी स्वाइप टर्मिनल कार्ड को स्वैप करते हैं तो उसके आंकड़े अनाधिकृत व्यक्ति या समूह के हाथों में जा सकते हैं। जिन बैंकों के क्रेडिट कार्ड चोरी हुए हैं उनमें से भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने उपभोक्ताओं के डेबिट कार्ड को ब्लॉक करना शुरू कर दिया है और उन्हें नए कार्ड मुफ्त जारी किए जा रहे हैं।
वर्तमान परिदृश्य में एसबीआई ने अकेले अभी तक 6 लाख डेबिट कार्ड को ब्लॉक किया है, ताकि उपभोक्ताओं को किसी संभव खतरे से बचाया जा सके। कार्ड कंपनियों में से एक मास्टरकार्ड ने गुरुवार को कहा कि उसकी प्रणाली में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। मास्टरकार्ड के प्रवक्ता ने कहा, “हम सरकारी एजेंसियों और नियामकों के साथ मिलकर मामले की जांच कर रहे हैं।”
उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने बैंक खाते पर नजर रखें और किसी प्रकार की गड़बड़ी का पता चलते ही बैंक को सूचित करें।आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि एसबीआई के करीब 20 करोड़ सक्रिय डेबिट कार्ड हैं, साथ ही अन्य बैंकों के 4.75 करोड़ डेबिट कार्ड हैं।
इससे पहले सितंबर में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनसीपीआई) ने कहा था कि उसकी प्रणाली पूरी तरह सुरक्षित है। एनसीपीआई ही देश के सभी खुदरा भुगतान को नियंत्रित करती है और रोजाना 2.5 करोड़ लेन-देन का प्रबंधन करती है।